ऐ मेरे दोस्तो कुछ ऐसा एहतमाम करो |
जो टूटे दिल हैं उन्हें जोड़ने का काम करो ||
हमारे बीच में बस प्यार का ही हो रिश्ता|
मिटे ये रंजिशें इस का भी इंतज़ाम करो ||
भुलाके अपने शहीदों को क्या मिला तुमको |
फिर उनके जैसा ही बन करके अपना नाम करो||
हमारे देश की अज़मत यही तिरंगा है |
उसे अदब से हमेशा सभी सलाम करो ||
ये संविधान बड़ी मुश्किलों से पाया है |
इसे संभाल कर रख्खो और एहतराम करो ||
हमारी बस्तियां जलती उजड़ती हें जिनसे |
सुनो कहानियां वो किस्से भी अब तमाम करो ||
पिया था जाम जो अशफाक और बिस्मिल ने |
उन्ही की दोस्ती का पेश सब को जाम करो ||
किसी की आँख में पानी जो देख लो रहबर |
क़रीब जाके बड़े प्यार से कलाम करो ||
आले हसन ख़ाँ (रहबर)