मुक्तक

(प्रकाशित अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका “प्रयास” अक्टूबर २०१४)

जग में टिक नहीं पाया कोई मानव पौरष के आगे,
किन्तु ऋषी,मुनि,सुर,असुर सब नारी शक्ति से हारे|
बुद्धि,विवेक, साथ नहीं देते ज्ञान तंतु फिरे जागे सोये,
तिरछी नैन कटारी आगे, बरछे-भाले डर कर भागे|

आले हसन खां (रहबर) कायमगंज, भारत |