अप्सराओं स चेहरा हसीं (नज़्म)

अप्सराओं स चेहरा हसीं पाये हो,
अजनबी हो कहो किसलिए आए हो |
जिंदगी के सफ़र में अकेला हूँ मैं,
लूटने क्या मेरा दिल चले आए हो ||

फूलों की डालियों से हो महके हुए,
तितलियों जैसे आए हो बहके हुए |
हों फरिश्ते भी हैरां जिसे देखकर,
अपनी अंगड़ाई में वो असर लाए हो ||

तुम में लगती नहीं है कोई भी कमी,
दिल को क़दमों में रख दें तुम्हारे सभी |
हुस्न परियों से कोह्क़ाफ़ की लाए हो,
तुम न जाने कहाँ से चले आए हो ||

अबरुओं के ये खंजर और पलकों की तीर,
वार से जिनके देते हो दिल को भी चीर ||
साथ घातक ये हथियार भी लाए हो,
रहज़नो की क्या बस्ती से तुम आए हो ||

चाल भी चलते हो एक मस्तानी सी,
ऐसा लगता है जन्नत से आए अभी |
है गुमान आसमां से उतर आए हो,
कुछ तो बोलो कहाँ से चले आए हो ||

पास आकर के अब दूर जाते हो क्यूँ,
इतनी बेगानगी भी दिखाते हो क्यूँ |
दिल किसी और का जब चुरा लाए हो,
हमसफ़र आज बनने को क्यों आए हो ||

राज़ जो भी हो रहबर बता दो मुझे,
खोलकर अपना दिल भी दिखा दो मुझे |
अब हवासों पे मेरे तुम्ही छाए हो,
प्यार की इस डगर पर भी खुद आये हो ||

आले हसन ख़ाँ (रहबर)