अदावत के समर को (ग़ज़ल)

अदावत के समर को हम कभी फलने नहीं देते,
हम इंसान हैं कभी इंसानियत मरने नहीं देते ।

हमें पंडित और मौलाना रक़ीबों से नज़र आते,
जो हम हिंदू मुसलमां को कभी मिलने नहीं देते ।

इलेकशन में हमारे घर जो चक्कर लगाते हैं,
वह उसके बाद अपने पास हमें आने नहीं देते ।

अजब माडर्न कपड़े और उस पर चाल मरदाना,
ये कोमल को कभी कोमलांगी होने नहीं देते ।

हमें रहबर हमारे आजकल रहज़न से लगते हैं,
जो मंज़िल तक हमारा क़ाफ़िला जाने नहीं देते ।

आले हसन ख़ाँ (रहबर)