हैवान है वो आदमी इंसान नहीं है,
नारी का जिसके दिल में सम्मान नहीं है ||
सौ खूबियां रखते हो बेकार वो सब हैं,
गर तुममें ज़रा सा भी ईमान नहीं है ||
तुम देखो सुनो बोलो हर वक्त ही अच्छा,
हो नाम बुराई में ये शान नहीं है ||
रहने दो नवाज़िश,करम,मेहरबानियाँ अपनी,
कुछ और सितम सहने को अब जान नहीं है||
जब तुमको नहीं रखना कुछ वास्ता हम से,
तो हम को भी दीदार का अरमान नहीं है ||
पत्थर के मकानों में तुम ढूंढते हो किसको,
क्या दिल में तुम्हारे खुदा भगवान नहीं है ||
खाजाते हो धोखा कभी तुम तो “रहबर”,
क्या तुम को भी इंसान की पहचान नहीं है ||
आले हसन ख़ाँ (रहबर)