दिल के ज़ख़्मों को (ग़ज़ल)

दिल के ज़ख़्मों को दिखाया नहीं जा सकता,
प्यार के लम्हों को भुलाया नहीं जा सकता।

इश्क़ में हमने क्या खोया और क्या पाया है,
ये एहसास हमेशा तो कराया नहीं जा सकता।

खेलकर प्यार भरा दिल तोड़ दिया हो जिसने,
उसको वादों की याद दिलाया नहीं जा सकता।

यार! मत पूछो वह क्या कहते हैं अब लोगों से,
तुमको अब और हमसे रुलाया नहीं जा सकता।

हमने हर बात बताई तुम्हे तो “रहबर” फिर भी,
प्यार कैसे करें ये तो सिखाया नहीं जा सकता।

– आले हसन खां (रहबर) क़ायमगंज, भारत।